शिर्डी में गुरुस्थान की महिमा है अपरंपार जो भी लगाता चक्कर इसके ग्यारह ही बार हर पीड़ा से भक्त वो मुक्ति पा जाता जो बैठ यहाँ साईं नाम है गाता साईं का नीम आज भी भक्तों को छांव है देता पत्तों के उससे हर कोई मिठास ही लेता गुरुस्थान में बाबा के गुरु को शीश नवाकर हर कोई उनसे भी है आशीष ही पाता बाबा की चरण-पादुका पे फूल-हार चढ़ाकर लोबान और अगरबत्ती यहाँ पे जलाकर हर भक्त सुख-शांति सब प्यार है पाता और साईं की दुआओं को संग अपने पाता
तू अगर मुझे नवाजे तो तेरी दया है मेरे मालिक साईं वरना तेरी रहमतों के लायक मेरी बंदगी कहाँ .. सुख के सब साथी दुख: में न कोई... मेरे राम, मेरे राम... तेरा नाम है ऐक सांचा दूजा न कोई... जय श्री राम ! ॥ सबका मालिक एक ॥
शिर्डी में गुरुस्थान की महिमा है अपरंपार
ReplyDeleteजो भी लगाता चक्कर इसके ग्यारह ही बार
हर पीड़ा से भक्त वो मुक्ति पा जाता
जो बैठ यहाँ साईं नाम है गाता
साईं का नीम आज भी
भक्तों को छांव है देता
पत्तों के उससे हर कोई मिठास ही लेता
गुरुस्थान में बाबा के गुरु को शीश नवाकर
हर कोई उनसे भी है आशीष ही पाता
बाबा की चरण-पादुका पे फूल-हार चढ़ाकर
लोबान और अगरबत्ती यहाँ पे जलाकर
हर भक्त सुख-शांति सब प्यार है पाता
और साईं की दुआओं को संग अपने पाता
श्री साईं गाथा सुनिए
जय साईंनाथ कहिए
तू अगर मुझे नवाजे तो तेरी दया है मेरे मालिक साईं
ReplyDeleteवरना तेरी रहमतों के लायक मेरी बंदगी कहाँ ..
सुख के सब साथी दुख: में न कोई...
मेरे राम, मेरे राम...
तेरा नाम है
ऐक सांचा दूजा न कोई...
जय श्री राम !
॥ सबका मालिक एक ॥